महात्मा गांधी का प्रारंभिक जीवन

amitamitchauhan385@gmail.com By amitamitchauhan385@gmail.com September 22, 2025

1. महात्मा गांधी का प्रारंभिक जीवन

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। महात्मा गांधी के पिता करमचंद गांधी पोरबंदर रियासत में दीवान थे और माता पुतलीबाई धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। बचपन से ही महात्मा गांधी में सादगी, सत्य और अहिंसा के संस्कार थे। पढ़ाई के दौरान वे शर्मीले और गंभीर स्वभाव के थे। स्कूल में औसत छात्र होने के बावजूद महात्मा गांधी अनुशासन और ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध थे। इन गुणों ने उनके जीवन की नींव मजबूत की और आगे चलकर उन्हें राष्ट्रपिता के रूप में स्थापित किया। महात्मा गांधी के बाल्यकाल के अनुभवों ने उनके चरित्र को आकार दिया और उन्हें सत्य की खोज की ओर प्रेरित किया।

2. शिक्षा और इंग्लैंड प्रवास

महात्मा गांधी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर और राजकोट में हुई। 1888 में वे वकालत की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए। वहां रहते हुए महात्मा गांधी ने पश्चिमी सभ्यता को गहराई से समझा, लेकिन भारतीय परंपराओं से जुड़ाव बनाए रखा। इंग्लैंड में उन्होंने आत्मअनुशासन, शाकाहार और सादगी को अपनाया। वकालत की डिग्री पूरी करने के बाद 1891 में भारत लौटे, लेकिन उन्हें वकालत में प्रारंभिक सफलता नहीं मिली। इस दौरान महात्मा गांधी का ध्यान समाज सेवा की ओर बढ़ा। इंग्लैंड का अनुभव उनके विचारों को व्यापक दृष्टिकोण देता है और आगे के संघर्षों के लिए उन्हें मानसिक रूप से तैयार करता है। महात्मा गांधी ने पश्चिमी शिक्षा से सीखा कि आधुनिकता और परंपरा का संतुलन समाज में परिवर्तन ला सकता है।

3. दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष

1893 में महात्मा गांधी वकालत के काम से दक्षिण अफ्रीका गए। वहां भारतीयों के साथ हो रहे नस्लीय भेदभाव ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया। महात्मा गांधी को एक बार रेलगाड़ी से सिर्फ इसलिए उतार दिया गया क्योंकि वे श्वेत वर्ग के डिब्बे में बैठे थे। इस अपमान ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की। उन्होंने भारतीयों के अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण आंदोलन चलाया। यह अनुभव उनके नेतृत्व कौशल को निखारता है और अहिंसा व सत्याग्रह के सिद्धांत को जन्म देता है। दक्षिण अफ्रीका का संघर्ष महात्मा गांधी को विश्व मंच पर एक सशक्त नेता के रूप में स्थापित करता है।

4. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान

1915 में भारत लौटने के बाद महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी। उन्होंने असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे कई बड़े आंदोलनों का नेतृत्व किया। महात्मा गांधी का मानना था कि अहिंसा और सत्य की शक्ति से ब्रिटिश साम्राज्य को झुकाया जा सकता है। किसानों, मजदूरों और आम जनता को जोड़ने में महात्मा गांधी की भूमिका अद्वितीय थी। उन्होंने स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग पर जोर दिया और चरखा कातने को आंदोलन का प्रतीक बनाया। महात्मा गांधी के नेतृत्व ने भारत को एकजुट किया और स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया। उनके नेतृत्व ने दुनिया को यह संदेश दिया कि शांतिपूर्ण विरोध भी बड़े परिवर्तन ला सकता है।

5. महात्मा गांधी के सिद्धांत और विचार

महात्मा गांधी के सिद्धांत सत्य, अहिंसा, सरलता और आत्मनिर्भरता पर आधारित थे। उनका मानना था कि सच्चाई की राह कठिन हो सकती है, पर अंत में विजय सत्य की ही होती है। महात्मा गांधी ने समाज में छुआछूत, जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने ग्राम स्वराज का विचार दिया, जिसमें हर गांव आत्मनिर्भर बने। महात्मा गांधी का विश्वास था कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान प्राप्त करना नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण भी है। उनके सिद्धांत आज भी समाज में प्रासंगिक हैं और पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। महात्मा गांधी के विचारों ने भारतीय समाज को नई दिशा दी।

6. महात्मा गांधी की विरासत और प्रभाव

महात्मा गांधी का प्रभाव भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ा। उनके अहिंसा के सिद्धांत ने मार्टिन लूथर किंग जूनियर और नेल्सन मंडेला जैसे नेताओं को प्रेरित किया। 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने कर दी, लेकिन उनके विचार अमर रहे। महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाई जाती है। उनका जीवन दिखाता है कि शांतिपूर्ण तरीकों से भी बड़े सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन संभव हैं। महात्मा गांधी की शिक्षाएं आज भी समानता, न्याय और शांति की दिशा में मार्गदर्शन देती हैं। वे सदा राष्ट्रपिता और मानवता के प्रतीक के रूप में याद किए जाएंगे।

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